शनिवार, 4 नवंबर 2017

मूर्खो के लक्षण

नमो राघवाय,
आज मैं आपके सामने मूर्खों ही के लक्षणों का धर्म शास्त्र के आधार पर वर्णन करुँगा। क्या आप में भी निम्नाँकित सूक्तियों के लक्षण मिलते हैं? यदि मिलते हों, तो आप अपना भी परिमार्जन करिए और मूर्खता के कलंक से बचकर निर्मल होने का प्रयत्न करिए।

१. जिसके उदर से जन्म लिया, ऐसी माता और पिता के साथ विरोध करे, सर्व परिवार को छोड़ स्त्री में रमा रहे, अपने गुप्त मत का प्रकाश स्त्री से करे-जो कि उसके दायरे से बाहर की बात है, वह मूर्ख है।
२. बलवान से बैर करे, अपने शरीर पर गर्व करे, बिना बल के सत्ता दिखावे, आत्म स्तुति करे, दरिद्र स्थिति में रहकर भी बड़ी बड़ी डींगें हाँके, चिकित्सक एवं सत्ता धारी से अकारण विरोध करे, वह मूर्ख है।
३. जेबों में हाथ डाले अकड़ कर बात करे वह मूर्ख है।
४. बिना कारण हंसे, अत्यन्त अविवेकी विचार शून्य और बहुतों का शत्रु हो, उसे मूर्ख जानो।
५. नीच से मित्रता करे, रात-दिन पर छिन्द्रान्वेषण को तत्पर रहे, वह मूर्ख है।
६. जहाँ बहुत लोग बैठे हैं, उनके मध्य में जाकर सोना और विदेश में हर व्यक्ति पर बिना जाने विश्वास कर लेना मूर्खता है।
७. व्यसनों के वश होकर अपनी महत्ता को खो बैठे वह मूर्ख है।
८. पर-आशा से परिश्रम करना छोड़कर जो अकेले पन में आनन्द माने वह मूर्ख है।
९. मूर्ख घर में बड़े विवेकी बनते हैं, बहुत बोल कर अपने परिवार के भोले जीवों पर अपनी धाक जमाये रखते हैं, एवं स्त्रियों के सन्मुख बहादुरी दिखाते और मौका पड़ने पर पीठ दिखाकर भागते है। स्त्रियों में वक्ता बनते हैं, किन्तु सभा में शर्माते हैं वे मूर्ख हैं।
१०. वृद्धों के सन्मुख ज्ञानीपना प्रकट करे, सात्विक और सरल हृदय के जीवों से छल करे, अपने से श्रेष्ठ के साथ स्नेह करने जाये और उन का उपदेश नहीं माने, वह मूर्ख है।
११. विषयी और निर्लज्ज होकर मर्यादा से बाहर कार्य करता फिरे, रोगी होकर पथ्य का पालन न करे, उसे मूर्ख जानो।
१२. विदेश में बिना परिचय किसी का साथ करे और जाने बूझे बिना किसी बड़े नगर (शहर) में जावे, यह लक्षण मूर्खों में ही होते हैं।
१३. जहाँ अपमान होता हो वहाँ बारम्बार जाए, बिना पूछे उपदेश देने लगे, वह मूर्ख है।
१४. बिना विचारे तनिक अपराध पर भी दंड दे, मामूली-2 बातें में भी कृपा दिखावे, वह मूर्ख है।
१५. वास्तविकता को न मानना, शक्ति बिना बड़ी-बड़ी बातें करना, मुख से अपशब्द बोलना मूर्खों ही का काम है।
१६. घर में अपनी बड़ी बहादुरी प्रकट करे और बाहर दीन बनकर फिरे उसे मूर्ख जानो।
१७. नीच की मित्रता, पर-स्त्री के साथ एकान्त और मार्ग चलते खाना मूर्ख के लक्षण है।
१८. किसी के किये उपकार को अपकार माने, अपना थोड़ा किया बहुत बतावें, ऐसे कृतघ्न को मूर्ख जानना चाहिए।
१९. तामसी, आलसी, मन से कुटिल और अधीर मनुष्य मूर्ख होता है।
२०. विद्या, वैभव, धन, पुरुषार्थ, बल और मान बिना मिथ्या अभिमान करने वाला मूर्ख होता है।
२१. मलीन रहना दाँत, आँख, हाथ, वस्त्र और शरीर सर्व काल मैले रक्खे, यह कार्य मूर्खों ही के हैं।
२२. क्रोध से, अभिमान से और कुबुद्धि से अपना आप ही घात करे, ऐसा अव्यवस्थित चित्त वाला मूर्ख है।
२३. अपने सुहृद के साथ बुरा व्यवहार करे, सुख और शान्ति का एक शब्द भी न बोले और नीच जनों की स्तुति करे, वह मूर्ख है।
२४. अपने आप को सर्व प्रकार से पूर्ण माने, शरणागत को धिक्कारे, लक्ष्मी और आयु का भरोसा करे, वह मूर्ख है।
२५. सांसारिक विषय वासना को ही मुख्य मान कर ईश्वर को भूल जावे, कर्त्तव्य का ज्ञान न हो, वह मूर्ख है।
२६. बुरे का संग करे, आँख बंदकर मार्ग चले, पितृ, गुरु देव, माता-पिता, गुरु भाई, स्वामी आदि बड़ों का विरोध करे, वह मूर्ख है।
२७. दूसरे को दुख में देख हंसे और सुखी देख कर कुढ़े, गई वस्तु का शोक करे, अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा न कर सके, सदा हँसी ठट्ठा करे, हँसते 2 लड़ने लग जाय, उसे मूर्ख जानो।

आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में मूर्खो के प्रमुख भेद बताये है। इनके अनुसार –
मूर्खस्य पञ्च चिन्हानि गर्वो दुर्वचनं तथा।
क्रोधश्च दृढ़वादश्च परवाक्येष्वनादरः॥
अर्थात :-
मूर्खों के पाँच लक्षण होते हैं, यथा - 
१.गर्व, 
२. अपशब्द, 
३.क्रोध,
४. हठ और
५. दूसरों की बातों का अनादर।

5 टिप्‍पणियां:

  1. 👌🏻👌🏻👌🏻 बहुत सुंदर वर्णन!!!
    🙏🏻🌹नमो राघवाय🌹🙏🏻

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  2. NAMO RAGHVAY,BHGWAN AAP KI SDASHYTA KAISE MIL SKTEE HAI HELP KIJIYE

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    1. Namo Raghwaye !! Hamari koi sadasyta nahi hai bandhu. Hari iccha or anukampa se hum yaha samay samay par post dalte hai. Aap Blog ko follow kar lijiye taaki nayi post ka notification aap ko mil jaye

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    2. Jaldi hi is Blog ka YOUTUBE Version laane ka bhi vichar chal rha hai. Samay par aap sabhi ko soochit kar diya jayega.

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